योगिनी दशा: वैदिक ज्योतिष की रहस्यमयी और सटीक कालचक्र प्रणाली
क्या आपने हाल ही में योगिनी दशा के बारे में सुना है और इसकी गहराई से समझ बनाना चाहते हैं? यह लेख वैदिक ज्योतिष की इस रहस्यमयी लेकिन अत्यंत सटीक दशा प्रणाली का विस्तार से परिचय कराता है। जानिए योगिनी दशा के आठ चरण, उनकी ग्रह शासक शक्तियाँ, 36 वर्षीय जीवन चक्र का रहस्य, और कैसे चंद्रमा के नक्षत्र आपके जीवन की दिशा तय करते हैं। ज्योतिष के छात्रों और उत्साही पाठकों के लिए यह लेख एक परिपूर्ण शुरुआती मार्गदर्शिका है।
Yamini Shukla
6/7/20251 min read
योगिनी दशा का चक्र और काल अवधि
योगिनी दशा का पूरा चक्र 36 वर्षों का होता है। यह आठ योगिनियों के कालों का योग है, जिसमें प्रत्येक योगिनी की अवधि उसके क्रम संख्या के अनुसार होती है — पहला योगिनी काल 1 वर्ष, दूसरा 2 वर्ष, तीसरा 3 वर्ष और इसी प्रकार आठवां योगिनी काल 8 वर्ष तक चलता है।
इस तरह:
1 + 2 + 3 + 4 + 5 + 6 + 7 + 8 = 36 वर्ष
यह 36 वर्षों का चक्र जीवन के अनुभवों और घटनाओं के एक समग्र काल को दर्शाता है।
योगिनी दशा की गणना और प्रारंभ
योगिनी दशा की शुरुआत जन्म के समय चंद्रमा के जिस नक्षत्र में होता है, उस नक्षत्र की योगिनी से होती है। प्रत्येक नक्षत्र एक योगिनी से संबंधित होता है।
जैसे यदि आपका जन्म चंद्रमा अश्विनी नक्षत्र में हुआ है और यह नक्षत्र मंगला योगिनी से जुड़ा है, तो आपकी पहली योगिनी दशा मंगला होगी।
योगिनी दशा के प्रभाव और जीवन पर उनका महत्व
हर योगिनी दशा जीवन में अलग-अलग तरह के अनुभव लाती है। कुछ दशाएँ सुख, समृद्धि और उन्नति लेकर आती हैं, तो कुछ संघर्ष, कष्ट और सीख।
मंगला योगिनी दशा
शासक ग्रह: चंद्रमा
प्रभाव: यह अवधि सुख, समृद्धि, और मानसिक शांति लाती है। परिवार और मित्रों से संबंध मजबूत होते हैं।
पिंगला योगिनी दशा
शासक ग्रह: सूर्य
प्रभाव: मान-सम्मान, प्रसिद्धि, और सामाजिक स्थिति में वृद्धि होती है।
धन्या योगिनी दशा
शासक ग्रह: बृहस्पति
प्रभाव: धन लाभ, भाग्यशाली अवसर, और समृद्धि के द्वार खुलते हैं।
भ्रमरी योगिनी दशा
शासक ग्रह: मंगल
प्रभाव: उतार-चढ़ाव भरे समय का संकेत देती है, कभी संघर्ष तो कभी उत्साह।
भद्रिका योगिनी दशा
शासक ग्रह: शनि
प्रभाव: यह काल परिश्रम और कष्ट का होता है, जो अंततः स्थिरता और सफलता लाता है।
उल्का योगिनी दशा
शासक ग्रह: राहु
प्रभाव: अनिश्चितता, नए अनुभव, जीवन में बदलाव के संकेत।
सिद्धा योगिनी दशा
शासक ग्रह: बुध
प्रभाव: बुद्धि, ज्ञान, संवाद कौशल में वृद्धि।
संकट योगिनी दशा
शासक ग्रह: केतु
प्रभाव: आध्यात्मिक उन्नति, जीवन में सुधार और संकट।
योगिनी दशा और नक्षत्रों का सम्बंध
चंद्रमा के 27 नक्षत्र आठ योगिनियों के अंतर्गत विभाजित हैं। हर योगिनी के 3 या 4 नक्षत्र आते हैं। इससे यह पता चलता है कि किस नक्षत्र के प्रभाव में कौन सी योगिनी दशा आती है।
योगिनी दशा की तुलना विंशोत्तरी दशा से
काल अवधि: विंशोत्तरी दशा 120 वर्ष की है, जबकि योगिनी दशा 36 वर्षों की।
प्रारंभ: विंशोत्तरी दशा ग्रहों के आधार पर चलती है, योगिनी दशा चंद्रमा के नक्षत्र और योगिनियों पर आधारित।
सटीकता: योगिनी दशा छोटे काल चक्र के कारण जीवन के उतार-चढ़ाव को ज्यादा सूक्ष्मता से दिखाती है।
योगिनी दशा कैसे सीखें और अभ्यास करें?
जन्मकुंडली में चंद्रमा की स्थिति और नक्षत्र निकालना सीखें।
आठ योगिनियों के ग्रह स्वामी और उनके प्रभावों को समझें।
प्रत्येक योगिनी दशा के दौरान आने वाले जीवन बदलावों का अध्ययन करें।
वास्तविक जीवन की घटनाओं से योगिनी दशा के अनुभवों को जोड़कर अभ्यास करें।
निष्कर्ष
योगिनी दशा वैदिक ज्योतिष की एक अत्यंत प्रभावशाली प्रणाली है, जो जीवन के 36 वर्षीय चक्र में होने वाली घटनाओं की गहराई से पहचान कराती है। इसकी सटीकता, गूढ़ता और आध्यात्मिक महत्व इसे एक विशेष स्थान देते हैं।
यदि आप ज्योतिष के छात्र हैं और गहराई से सीखना चाहते हैं, तो योगिनी दशा आपकी यात्रा में एक अनमोल साथी साबित होगी।


योगिनी दशा की उत्पत्ति और ऐतिहासिक संदर्भ
योगिनी दशा का उल्लेख वैदिक और उपनिषद कालीन ज्योतिष ग्रंथों में मिलता है। प्राचीन ज्योतिषी इसे अपनी गहनता और सटीकता के कारण अत्यंत मानते थे। यह दशा चंद्रमा के नक्षत्रों की गति के आधार पर जीवन के समय चक्र निर्धारित करती है, लेकिन इसे अधिक गूढ़ बनाने वाली बात है आठ योगिनियाँ, जो नक्षत्रों और ग्रहों से जुड़ी शक्तियां हैं।
योगिनियाँ हिन्दू धर्म की आठ शक्तियाँ या देवीय नारी रूप मानी जाती हैं, जिनका प्रभाव हमारे जीवन की प्रकृति, गति, और घटना चक्रों को नियंत्रित करता है।
योगिनियों का परिचय — आठ दिव्य शक्तियाँ
योगिनी दशा में कुल आठ योगिनियाँ होती हैं, जो क्रमवार जीवन के अलग-अलग कालों पर शासन करती हैं। प्रत्येक योगिनी के एक ग्रह स्वामी होते हैं, जो उस काल के प्रभाव की दिशा और स्वरूप तय करते हैं।
वैदिक ज्योतिष में इसका अनूठा स्थान और महत्व
वैदिक ज्योतिष की दुनिया में दशा प्रणाली का बेहद महत्वपूर्ण स्थान है। यदि आपने हाल ही में योगिनी दशा के बारे में सुना है, तो यह आपके लिए एक अनमोल अवसर है कि आप इस गूढ़, सटीक और प्राचीन प्रणाली को समझें, जो आपकी जन्मकुंडली के आधार पर जीवन के प्रमुख चरणों को पहचानने में मदद करती है।
दशा प्रणाली का महत्व और परिचय
हिंदू ज्योतिष में दशा का अर्थ होता है किसी ग्रह, नक्षत्र या दिव्य शक्ति के प्रभाव का काल। ये दशा हमें बताते हैं कि हमारे जीवन में कब कौन-सी ऊर्जा प्रमुख रहेगी और हमें किन-किन क्षेत्रों में ध्यान देना होगा।
विंशोत्तरी दशा सबसे अधिक प्रचलित दशा प्रणाली है, जो 120 वर्ष के चंद्र ग्रहों के काल पर आधारित है। वहीं, योगिनी दशा एक अलग और विशेष प्रणाली है, जो चंद्रमा के 27 नक्षत्रों और उन नक्षत्रों से जुड़ी आठ दिव्य योगिनियों के प्रभाव को ध्यान में रखती है।


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