श्रीकालभैरवाष्टकम्

श्री कालभैरवाष्टकम्, आदि शंकराचार्य जी द्वारा रचित, भगवान काल भैरव की स्तुति में आठ श्लोकों (अष्टक) का एक अत्यंत शक्तिशाली और मनोहारी स्रोत है। यह स्रोत भगवान भैरव के विभिन्न दिव्य रूपों, गुणों, और महिमा का वर्णन करता है।

Sandeep Bhatt

11/13/20251 min read

A statue of a man with a tiger on his lap
A statue of a man with a tiger on his lap

देवराजसेव्यमानपावनाङ्घ्रिपङ्कजं व्यालयज्ञसूत्रमिन्दुशेखरं कृपाकरम् ।

नारदादियोगिवृन्दवन्दितं दिगम्बरं काशिकापुराधिनाथकालभैरवं भजे ॥ १ ॥

भानुकोटिभास्वरं भवाब्धितारकं परं नीलकण्ठमीप्सितार्थदायकं त्रिलोचनम् ।

कालकालमम्बुजाक्षमक्षशूलमक्षरं काशिकापुराधिनाथकालभैरवं भजे ॥ २ ॥

शूलटङ्कपाशदण्डपाणिमादिकारणं श्यामकायमादिदेवमक्षरं निरामयम् ।

भीमविक्रमं प्रभुं विचित्रताण्डवप्रियं काशिकापुराधिनाथकालभैरवं भजे ॥ ३ ॥

भुक्तिमुक्तिदायकं प्रशस्तचारुविग्रहं भक्तवत्सलं स्थितं समस्तलोकविग्रहम् ।

विनिक्वणन्मनोज्ञहेमकिङ्किणीलसत्कटिं काशिकापुराधिनाथकालभैरवं भजे ॥ ४ ॥

धर्मसेतुपालकं त्वधर्ममार्गनाशकं कर्मपाशमोचकं सुशर्मदायकं विभुम् ।

स्वर्णवर्णशेषपाशशोभिताङ्ग मण्डलं काशिकापुराधिनाथकालभैरवं भजे ॥ ५ ॥

रत्नपादुकाप्रभाभिरामपादयुग्मकं नित्यमद्वितीयमीष्टदैवतं निरञ्जनम् ।

मृत्युदर्पनाशनं करालद्रंष्ट्रमोक्षणं काशिकापुराधिनाथकालभैरवं भजे ॥ ६ ॥

अट्टहासभिन्नपद्मजाण्डकोशसन्ततिं दृष्टिपातनष्टपापजालमुग्रशासनम् ।

अष्टसिद्धिदायकं कपालमालिकन्धरं काशिकापुराधिनाथकालभैरवं भजे ॥ ७ ॥

भूतसंघनायकं विशालकीर्तिदायकं काशिवासलोकपुण्यपापशोषकं विभुम् ।

नीतिमार्गकोविदं पुरातनं जगत्पतिं काशिकापुराधिनाथकालभैरवं भजे ॥ ८ ॥

कालभैरवाष्टकं पठन्ति ये मनोहरं ज्ञानमुक्तिसाधनं विचित्रपुण्यवर्धनम् ।

शोकमोहदैन्यलोभकोपतापनाशनं ते प्रयान्ति कालभैरवाङ्घ्रिसन्निधिं ध्रुवम् ॥ ९ ॥

॥ श्रीमच्छङ्कराचार्यविरचितं कालभैरवाष्टकं सम्पूर्णम् ॥